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साजिश (अ थ्रिलर स्टोरी) एपिसोड 4



अपना कप टेबल पर ही छोड़कर राहुल उस तरफ चलते हुए आया और हैरानी से उस तस्वीर को देखने लगा।

"क्या हुआ इसे…??"  राहुल ने हैरानी से सवाल किया।

दीपक ने राहुल की तरफ देखते हुए कहा- "तुम्हारे इस एक सवाल के जवाब में ही तुम्हारे सारे सवालो का जवाब मिल जायेगा, और वैसे भी मेरी इस बार की साजिश को ना इंस्पेक्टर समझ पायेगा ना ही विजय, ना उसका चमचा अमन कुछ समझ पायेगा। अभी दो तीन दिन तुम आराम करो, मेरा अगला कदम अब तुम्हारे पूरी तरह से ठीक होने के बाद ही आगे बढ़ेगा, और तब तक मैं तुम्हे हर सवाल का जवाब दे दूँगा। रोशनी के बारे में, विजय से दुश्मनी के बारे में,और भी बहुत कुछ।"

"मुझे इतनी लंबी कहानी नही सुननी है, बस जल्दी जल्दी शॉर्टकट में सब बता दो।" राहुल ने कहा।

"आओ बैठो" कहते हुए दीपक ने राहुल को सोफे की तरफ चलने को कहा।

"बात आज की नही है, इस बात को छह महीने गुजर गए।  उस वक्त मैं और रोशनी…. 🤔🤔🤔🤔

6 महीने पहले

दीपक और रोशनी बहुत सालों से एक दूसरे को जानते थे, लेकिन हाल ही मैं दोनो ने दोस्ती से बढ़कर एक दूसरे के लिए महसूस करने लगे थे, दोनो एक दूसरे को पसंद करते थे लेकिन एक दूसरे से बात करने से डरते थे। लेकिन कुछ दिन पहले ही दीपक ने रोशनी को प्रपोज कर दिया और रोशनी ने भी खुशी के इजहार के साथ दीपक को कबुल  कर लिया।

"एक बात बोलूँ?" रोशनी ने कहा।

दीपक ने रोशनी कि तरफ देखते हुए बाइक पर किक मारी- "हां बोलो?"

"अगर तुम मुझे पसंद करते थे तो मेरे से दूर दूर क्यो भागते थे?" रोशनी ने सवाल किया।

"दूर दूर, मैं? नही तो! मैं क्यों दूर दूर भागूंगा।" दीपक ने कहा और बैठने का इशारा किया।

रोशनी बाइक में बैठ गयी और एक हाथ को दीपक के दांए कंधे में रखते हुए दीपक के बाएं कंधे में अपनी ठुड्डी टिकाकर कान के पास बोली- "ज्यादा भोले मत बनो,मुझे पता है तुम सब जानते हो। पहले तो बाइक में ले जाने में भी नखरे करते थे, और कंधे में हाथ रखता था तो हटा देते थे।"

"छोड़ो ना पुरानी बातें, तब मुझे लगता था कि तुम अनुराग को पसंद करती हो। और तुम भी बात बात पर अनुराग की बात शुरू कर देती थी। इसलिए मैं थोड़ा दूर ही रहता था तुमसे" दीपक बोला।

"तुम अनुराग से इतना डरते क्यों हो?" रोशनी ने सवाल किया।

"अरे! मैं डरता नही हूँ। हाँ माना कि कॉलेज टाइम से ही दबंग स्टाइल में रहता है, उसके पास पावर है उसके यार दोस्तो की, दादागिरी चलती है उसकी,  लेकिन मैं फिर भी नही डरता उससे। वो मेरा कुछ नही बिगाड़ सकता।" दीपक ने कहा।

"तो उसके सामने मुझसे बात क्यो नही करते थे?" रोशनी ने फिर से सवाल किया।

"यार कितने सवाल करते हो। सच कहूँ तो मुझे यही लगा कि तुम उसे पसंद करते हो, और वो भी तुम्हे करता है। और उसके सामने तुमसे बात करके तुम दोनो के बीच मैं नही आना चाहता था। लेकिन तुम हमेशा उसे अपना सिर्फ दोस्त बताती थी इसलिए मुझे बाद बाद में लगने लगा कि शायद अनुराग तुम्हे पसंद नही है।" दीपक ने कहा।

"लेकिन एक बात तो बताओ…??" रोशनी ने एक और सवाल पूछने की कोशिश की लेकिन इस बार दीपक ने टोक दिया- "प्लीज…. अब कोई सवाल नही, अभी पहले रेस्टोरेंट् पहुंचते है, आर्डर करके आने तक जितने मर्जी सवाल कर लेना।"

"अच्छा, ठीक है। लेकिन तुम गलत सोचते थे मेरे अनुराग के बारे में, वो बस मेरा दोस्त है।" रोशनी बोली।

दीपक ने सड़क पर ध्यान देते हुए चुप्पी साध ली।

जब थोड़ी देर तक दीपक ने जवाब नही दिया तो  रोशनी ने कहा "ठीक है अभी मत दो जवाब, लेकिन रेस्टोरेंट पहुंचकर लुंगी जरूर"

दीपक मुस्कराया और लेफ्ट टर्न लेते हुए मार्केट की तरफ बाइक मोड़ ली।

रोशनी ने दोनो हाथों से दीपक को पीछे से पकड़ लिया और उसके पीठ पर सिर रख कर आंखे बंद कर ली।

दीपक पहले से काफी बदल चुका था, पहले वो इस बात पर भी टोकता था, लेकिन अब उसे ये सब अच्छा लग रहा था।

एक कार सवार भी उनकी गाड़ी के पास से ये नजारा देखते हुए गुजरा , शायद वो रोशनी और दीपक के जान पहचान का था इसलिए वो हैरानी से दोनो को देख रहा था। रोशनी की तो आंखे बंद थी और चेहरे में शुकुन था दीपक को बांहों में घेरकर उसके पीठ पर सिर रखकर वो चैन से हवा का आनंद ले रही थी, और दीपक भी ड्राइविंग में ध्यान देते हुए सोच रहा था कि रेस्टोरेंट थोड़ा दूर होता तो अच्छा होता। क्योकि ये प्यार का पहला पहला अनमोल अहसास था, जो बहुत ही मुश्किल से उसे नसीब हुआ था।

और उन दोनों को देख रहे सख्स की हवाईया उड़ी हुई थी, जैसे उसे खुशी नही दुख था। बाइक रेस्टोरेंट की तरफ मुड़ी और कार सीधे चली गयी।

बाइक से उतरकर  दोनो रेस्टोरेंट के अंदर गए।

"ऑर्डर तुम कर लो कुछ" दीपक ने रोशनी से कहा।

"मैं? अरे ! तुम बताओ कि तुम्हे क्या पसंद है?" रोशनी ने कहा।

"तुम्हे जो भी पसन्द है वो सब मुझे भी पसंद है। शायद तुम्हारी पसंद ही मेरी पसंद है, तुम जो मँगाओगे वो खाऊंगा" दीपक ने कहा।

"ये तो गलत बात है, ऐसे तो बहुत कन्फ्यूजन होता है, ये रहा मेन्यू जो भी मंगाना मँगा लो।" कहते हुए रोशनी ने मेन्यू दीपक की तरफ खिसका दी।

दीपक को हँसी आ रही थी

"ऐसे हँस क्यो रहे हो? कोई कॉमेडी कर रही मैं?" रोशनी ने कहा।

"और क्या कर रही हो? कॉमेडी ही है, इससे पहले जब कभी हम इधर आते थे तो मेरे हाथ से मेन्यू कार्ड छीन लेती थी तुम, और जो मैं ऑर्डर करता था वो केंसल करके कुछ और मंगाती थी, लेकिन अब…. सच में प्यार और दोस्ती में शायद बहुत ज्यादा फर्क होता है, लेकिन मैं चाहता हूँ कि तुम हमेशा वैसी ही नटखट रहो जो मेरी एक भी बात नही सुनती  बस अपने दिल की ही करती जाती है" दीपक ने कहा।

"अब एक्टिंग और डायलॉग को विराम दो, और कोई ऑर्डर भी दे दो, वरना पेट गाना गाने लगेगा" रोशनी ने कहा।

"चलो मैं ही मँगा लेता हूँ अपनी पसंद का" दीपक ने कहा और मेन्यू को पढ़ते पढ़ते काउंटर की तरफ चला गया।

रोशनी बैठे बैठे दीपक को देख रही थी, तभी उसके फोन में अनुराग का फोन आ गया।
रोशनी ने फोन उठाया और धीरे से बोली- "हैलो…."

"हाय!  कैसी हो रोशनी?" अनुराग ने कहा।

"मैं ठीक, आप बताओ" रोशनी बोली।

"बस आपकी याद आ रही है, कहाँ हो तुम घर पर ही हो या कहीं गयी हो।" अनुराग ने कहा।

"मैं कहीं……. मैं घर पर ही हूँ, आज कहाँ जाउंगी, बस घर में ही बैठी हूँ" रोशनी ने कहा।

"अच्छा, मुझे लगा कहीं गयी हो, वैसे मैं और दीपक अभी होस्टल के पास ही थे, अगर तुम मिलने आ जाती तो….मेरा मतलब तुम्हारे घर के पीछे ही है हम, आ जाते दो मिनट" अनुराग ने कहा।

अनुराग  की बात सुनकर रोशनी ने हैरानी से दीपक की तरफ देखा और कुछ सोचते हुए बोली- "आप दोनो करो बात, मैं थोड़ी देर में बताती हूं, अभी मम्मी मेरे पास ही है, और मैं खाना पका रही हूँ।"

"ठीक है, कर लेना फोन फ्री होकर" अनुराग ने कहते हुए फोन काट दिया।

दीपक तो मेरे साथ है, फिर अनुराग ने ऐसा क्यो कहा कि दीपक और वो मेरा इंताजार कर रहे है।

कहानी जारी है


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4 Comments

Fiza Tanvi

28-Aug-2021 12:00 AM

अभी तो लगता है बहुत मोड़ आने बाकि है

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क्या ताना बाना बुना है आपने संतोष जी आपने...

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🤫

22-Jul-2021 10:59 AM

very nice story....!

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santosh bhatt sonu

22-Jul-2021 01:13 PM

Thenx

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